क्या आपका कॉल रेकोर्ड हो रहा है? जानिए क्या है फोन टैपिंग और प्राइवेसी लिक करने की सजा ?
कॉल record करने वाले हो जाए सावधान
Adv. Ankita Jaiswal, Amravati
दोस्तों आज के लेख में हम जानेंगेे की फोन टैपिंग क्या होता है? उससे जुड़े हुए कानून क्या है? कौन टैप कर सकता है ?
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भारतीय संविधान में निजता का अधिकार नहीं है लेकिन संविधान के अनुच्छेद 19,20, 21 के अधिकारों में इसे शामिल किया गया है जिसके मुताबिक जीवन जीने के अधिकार में निजी स्वत्रंता है जिसमें किसी के जीवन में बेवजह के हस्तक्षेप को गलत बताया गया है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 कहता है कि कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार कोई भी व्यक्ति अपने जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं रहेगा। व्यक्तिगत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में ‘निजता का अधिकार’ शामिल है। यानी एक नागरिक को अन्य मामलों के अलावा अपने परिवार, शिक्षा, विवाह, मातृत्व, बच्चे पैदा करने की अपनी व्यक्तिगत गोपनीयता को सुरक्षित रखने का अधिकार है। ऐसे में कई बार सवाल उठता है कि क्या किसी की बात सुनना निजता के अधिकार का उल्लंघन नहीं है। इसका जवाब है नहीं। यदि इसे जनता के हित या किसी आपातकाल की स्थिति में किया जा रहा है तो यह गलत नहीं है।
बिना सरकार की इजाजत के आप देश के किसी भी नागरिक का फोन टैप नहीं कर सकते हैं।
फोन टैपिंग क्या है?
फोन टैपिंग का मतलब है गुप्त रूप से जानकारी प्राप्त करने के लिये किसी संचार चैनल (विशेष रूप से टेलीफोन) को सुनना या रिकॉर्ड करना। इसे कुछ देशों (मुख्य रूप से यूएसए में) ‘वायर-टैपिंग’ (Wiretapping) या अवरोधन (Interception) के रूप में भी जाना जाता है।
यह केवल अधिकृत तरीके से संबंधित विभाग से अनुमति लेकर ही किया जा सकता है। यदि अनधिकृत तरीके से किया जाता है तो यह अवैध है और इससे गोपनीयता भंग होने के लिये ज़िम्मेदार व्यक्ति पर आपराधिक मुकदमा चलाया जा सकता है।
इतिहास क्या है फोन टैपिंग का ?
हमारे देश में फोन टैपिंग का भी एक इतिहास है। अंग्रेज़ों के जमाने से चले आ रहे 1885 के टेलीग्राफ कानून की नज़र में फोन टैपिंग पूरी तरीके से अवैध नहीं है। इसके तहत यह व्यवस्था की गई थी कि टेलीफोन टैपिंग के लिये केंद्र या राज्य सरकार के गृह सचिव स्तर के अधिकारी से पूर्वानुमति लेनी ज़रूरी होगी। यह अनुमति केवल 2 महीनो के लिये वैध होती है। इस अवधि को विषेष परिस्थितियों में 6 महीने से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता है। टेलीफोन टैपिंग का कार्य निजता के अधिकार के साथ-साथ वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को भी प्रभावित करता है। ये दोनों ही संविधान के तहत मौलीक अधिकार हैं।
सरकार को क्या पावर है फोन टैपिंग में?
देश में उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों के कथित फोन टैपिंग के एक मामले में गृह मंत्रालय ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि देश की संप्रभुता औऱ अखंडता के लिये कानून प्रवर्तन एजेंसियाँ (Law Enforcement Agencies) फोन टेप करती हैं। हालाँकि इंडियन टेलीग्राफ संशोधन नियम, 2007 केंद्र और राज्य सरकारों को फोन टैपिंग कराने का अधिकार देता है। अगर किसी लॉ एनफोर्समेंट एजेंसी को लगता है कि जन सुरक्षा या राष्ट्रीय हित में फोन टैप करने की ज़रूरत है तो उस हालात में फोन कॉल रिकॉर्ड की जा सकती है। निजता का अधिकार जीवन के अधिकार का एक अभिन्न अंग है जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निहित है।
किसी भी सूचना के बिना किसी व्यक्ति के टेलीफोन को इंटरसेप्ट करना उस व्यक्ति की निजता के अधिकार का उल्लंघन है। लेकिन किसी विशेष परिस्थिति में सरकार द्वारा ऐसा किया जा सकता है। सरकार को टेलीग्राफ अधिनियम की धारा 5 (2) के तहत ऐसा करने की शक्ति प्रदान की गई है।
देश के मामले में ये इजाजत गृह मंत्रालय और प्रदेश के मामले में भी सरकार ने स्टेट को पॉवर दे रखी है. यहां भी गृह सचिव राज्य स्तर के अपराध या आंतरिक सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मामलों में फोन टैपिंग की परमिशन देने का पॉवर रखता है भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 के तहत केंद्र सरकार या राज्य सरकार को आपातकाल या लोक-सुरक्षा के हित में फोन संदेश को प्रतिबंधित करने एवं उसे टेप करने तथा उसकी निगरानी का अधिकार हासिल है। नियम 419 एवं 419 ए में टेलीफोन संदेशों की निगरानी एवं पाबंदी लगाने की प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है।
क्या सरकार किसी का भी फोन टेप करा सकती है?
१)सरकार राष्ट्र की सुरक्षा एवं जनहित में किसी भी राजनेता, अफसर या आम आदमी के फोन टेप करा सकती है।
२)सरकार को इसके वाजिब कारण बताने होते हैं।
३)कोर्ट में इसको चैलेंज भी किया जा सकता है और सरकार को ही नहीं बल्कि, टेलीकॉम कंपनियों को इसका रिकॉर्ड पेश करना पड़ सकता है।
४) 6 माह बाद रिकॉर्ड को नष्ट कर दिया जाता है।
जानिए- फोन टेपिंग का क्या कानून,
टेलीग्राफ एक्ट-1885 और इंडियन टेलीग्राफ संशोधन रूल्स-2007 के तहत सरकार किसी का भी फोन टेप करवा सकती है। फोन टैपिंग के मामले में यह भी नियम है कि किसी भी व्यक्ति का फोन एक बार अनुमति मिलने के बाद दो महीने तक टैप किया जाएगा। इसके बाद समय अवधि बढ़ाने के लिए फिर से अनुमति लेनी होगी। किसी भी व्यक्ति का फोन अधिकतम छह महीने ही टैप किया जा सकता है।
क्या उपाय है ?
१)गैर-कानूनी तरीके से फ़ोन टैपिंग निजता के अधिकार का उल्लंघन है और पीड़ित व्यक्ति मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कर सकता है।
२)कोई भी व्यक्ति अवैध रूप से फोन टैपिंग की जानकारी होने पर निकटतम पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज करा सकता है।
३) पीड़ित व्यक्ति भारतीय टेलीग्राफिक अधिनियम की धारा 26 (b) के तहत किसी अनधिकृत रूप से फोन टैपिंग करने वाले व्यक्ति/कंपनी के खिलाफ न्यायालय में भी जा सकता है और इसमें टेलीग्राफ एक्ट के तहत आरोपी को तीन साल की सज़ा हो सकती है।
टेलीफोन टैपिंग के संबंध में निजता का अधिकार
अनुमति मांगने वाली एजेंसी को इसका कारण बताना जरुरी होता है कि आखिर किन वजहों से फोन टेपिंग की जानी है। गृह सचिव के आदेश की समीक्षा केबिनेट सचिव, विधि सचिव और टेलीकॉम सचिव की कमेटी को करनी होती है। क्या है फोन टेपिंग किसी भी व्यक्ति के फोन, मोबाइल पर होने वाली बातचीत को गुप्त तरीके से रिकार्ड करना फोन टेपिंग में आता है किसी की बात को गुप्त तरीके से सुनना भी अपराध है जब तक की इस संबंध में सही तरीके से अनुमति नहीं मिले।
कौन कर सकता है फोन टेप?
राज्य पुलिस के अलावा एक्ट के मुताबिक बताएं उद्देश्यों के लिए बीएसएफ, एसआई, एमआई, रॉ, आईबी और एनआईए सीबीआई (CBI), ईडी (ED) और आईबी (IB) , एनसीबी (NCB) को फोन टेप करने का अधिकार है।
फ़ोन टैपिंग के दुरुपयोग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएँ दायर की गईं और कहा गया कि यह बिना किसी उचित कारण के भी किया जाता है।
इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने 1997 में PUCL बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया के केस में कुछ दिशा-निर्देश तय किये तथा इन निर्देशों के अनुपालन में सरकार ने एक कमेटी बनाई और राज्यों में भी इस तरह की कमेटियाँ बनाई गईं। सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुसार, किसी व्यक्ति के टेलीफोन टैपिंग के संबंध में उस राज्य के गृह सचिव की अनुमति लेना अनिवार्य होगा तथा टैपिंग करने वाली एजेंसी को टैपिंग का कारण स्पष्ट करना होगा।इसके अतिरिक्त टैपिंग के बाद उसे कितने समय तक रखा जाएगा तथा किस उद्देश्य के लिये इसका प्रयोग किया जाएगा, से संबंधित प्रावधान किये गए हैं। समस्या तब आती है जब निजी टेलीफोन कंपनियाँ प्रक्रिया का पालन किये बिना इसका दुरुपयोग करती हैं तथा प्रक्रिया के प्रवर्तन की दिक्कत इसलिये आती है क्योंकि फ़ोन टैपिंग किये जाने वाले व्यक्ति को खुद पता नहीं होता कि उसका फ़ोन टेप या उसकी बातचीत रिकॉर्ड हो रही है या उसका दुरुपयोग हो रहा है।
आशा करती हु की टेलीफोन टैपिंग के बारे में आप सभी को जानकारी देने में में सफल रही।
(लेखक कानून के अभ्यासी है)