भ्रष्टाचार के आरोप से वरिष्ठ लीपीक, उपविभागीय कार्यालय मोर्शी व अन्य दो साथीदार बरी

वरुड जिल्हा व सत्र न्यायालय द्वारा भ्रष्टाचार के मामले मे प्रथम निर्णय

वरुड: मा. स्थानिय जिल्हा व सत्र न्यायालय, वरुड ने भ्रष्टाचार के प्रकरण में अपना प्रथम निर्णय सुनाते हुये आरोपी अशोक बेहेरे (अव्वल कारकुन) उपविभागीय अधिकारी कार्यालय मोर्शी तथा कपील दंडाळे (बेनोडा शहीद), रुपेश अंधारे (दापोरी, मोर्शी) को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा ७, ८, १२, १३(१) (ड) सह १३ (२) के रिश्वतखोरी के आरोपोसे बरी कीया ।

घटना की हकीकत दोषारोप पत्र के अनुसार इसप्रकार थी की, तक्रारकर्ता ने भ्रष्टाचार निवारक ब्युरो मे उपरोक्त आरोपीयो के खिलाफ रिश्वतखोरी की रिपोर्ट दर्ज करायी थी जीसमे उसके कहे मुताबीक, तक्रारकर्ता ने कुछ लोगो द्वारा मालीकाना हक जमीन का मुख्त्यारपत्र अपने नाम कराके कृषी भुमी बेचने की अनुमती हेतु उपविभागीय अधिकारी मोर्शी कार्यालय में अर्जी दाखल की थी परंतु, अव्वल कारकुन होते हुये आरोपी बेहेरे ने अनुमती देने हेतु उनसे २०,०००/- रुपये की रिश्वत मांगी थी जो की तक्रारकर्ता को मंजूर नही थी जीस कारणवश उसने भ्रष्टाचार निवारक ब्युरो कार्यालय मे आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी थी. पश्चात रिश्वतखोरी के पुष्टी के लीये आरोपी के खिलाफ रिश्वत लेते रंगे हात पकडे जाने के लीये भ्रष्टाचार निवारक ब्युरो द्वारा जाल बिछाया गया था। आखीरकार घटना के दिन ता. १९/०६/१३ को आरोपी ने तक्रारकर्ता से जमीन बेचने की अनुमती देने के लीये २०,०००/- रुपये रिश्वत की मांग की तथा चालाकी से २०,००० रुपये सह आरोपीयो के मदत से कार्यालय के बाहर झेरॉक्स की दुकान मे सह-आरोपीयो के मदत से स्विकार की और उसी मौके पर भ्रष्टाचार निवारक ब्युरो द्वारा जाल बिछाकर आरोपीयो को रिश्वत लेते हुये रंगे हाथ धरा गया। घटना की संपुर्ण जांच कर उपरोक्त तिनो आरोपीयो के खिलाफ दोषारोप पत्र मा. स्थानिय अदालत में पेश कीया गया और आरोपीयो पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा ७, ८, १२, १३ (१) (ड) सह १३ (२) के तहत मुकदमा चलाया गया ।

मुकदमे की सुनवायी के दौरान सरकारी पक्ष की कुल ४ साक्षीदारो के बयाण मा. अदालत मे दर्ज कीये गये जीसमे फिर्यादी तथा जिल्हा कलेक्टर, तथा अन्य गवाहदारो के बयान अहम थे और सभी ने आरोपीयो के खिलाफ पुख्ता गवाही दी व आरोपीयो को दोषी बताया ।

सभी आरोपीयो की ओर से अॅड. मिर्जा वसीम अहमद ने पैरवी करते हुये मा. अदालत में कई ऐसे अहम मुद्दो को मा. अदालत के समक्ष रखा और बताया की आरोपी को रिश्वत लेने जैसे जुर्म मे झुठा फसाया गया और इस केस के जांच मे कई कानुनी खामीया है जीस वजह से आरोपीयो पर अपराध सिध्द नही हो सकता. बचाव पक्ष की ओर से सर्वोच्च व उच्च न्यायालय के दिशानिर्देशोको मा. अदालत के समक्ष रखा गया और ये बताया गया इस तरह के मामले मे आरोपीयो को दोषी नही माना जा सकता. सरकारी पक्ष द्वारा आरोपीयो को कडी सजा मिलने हेतु अदालत पुरजोर बहस की गयी. अतः अंतिम निर्णय मे आरोपीयो को बेगुनाह पाते हुये मा. अदालत ने सभी आरोपीयो को रिश्वत मांगने और स्विकारने के आरोपो से बरी कीया ।

आरोपीयो की ओर से अॅड. मिर्जा वसीम अहमद ने मा. अदालत ने अपना पक्ष रखा जीसमे उनका सहयोग अॅड. आशीष चौबे व अॅड. अकीता जयस्वाल ने कीया ।

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