रातों-रात खेतों में तब्दील हो रहें हैं जंगल, देवरी तहसील में चल रहा ‘गोरखधंदा’….!

◾️वनहक समिति की भूमिका पर उठे सवाल

प्रमोद महोबिया |प्रहार टाईम्स

देवरी 29:- गोंदिया जिले के देवरी तहसील में इन दिनों जंगलों को काट कर खेत में तब्दील करने का गोरखधंधा जोरों पर है।
तहसील के दक्षिण वन परिक्षेत्र स्थित बिलारगोंदी,शेडेपार के आसपास के जंगलों में रातों-रात अतिक्रमण कर खेत में बदल दिया जा रहा है लेकिन वनविभाग द्वारा अभी तक इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं करने से एक तरफ जहां वनविभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं वहीं दूसरी तरफ निकम्मापन उजागर हो रहा है।
हैरानी की बात है, स्थानीय नागरिकों द्वारा वनविभाग को समय समय पर इस संबंध में सूचना उपलब्ध कराने के बावजूद अतिक्रमणकारियों द्वारा निर्बाध रूप से जंगलों की कटाई छंटाई कर खेत बनाने का सिलसिला बदस्तूर जारी है जिसके चलते इस मामले में वनविभाग के कर्मचारियों कि संलिप्तता भी स्पष्ट रूप से नज़र आती हैं।


दक्षिण देवरी वन परिक्षेत्र के जंगलों कि कटाई कर खेत में बदलने के मामले में तहकिकात करने पर जो जानकारी निकल कर बाहर आई वो ना सिर्फ चौंकाने वाली है बल्कि इंसानी लालच, नकारा और भ्रष्ट नौकरशाही कि वजह से दिनोदिन सिमटते जंगलों के भयावह स्थिति को भी सामने लाती है ।इसके अलावा इस पूरे मामले में शेडेपार ग्रामपंचायत के वनहक समिति की भूमिका पर भी कई सवाल उठते हैं।

◾️ऐसे गुमराह किया गया है प्रशासन को..

बिलारगोंदी ,शेडेपार के आसपास के जंगलों में अतिक्रमण के मामले में जो जानकारी मिली है उससे साफ पता चलता है , अतिक्रमणकारियों द्वारा वनहक समिति से सांठ-गांठ कर किस योजनाबद्ध तरीके से प्रशासन की आंखों में धूल झोंककर जंगल में कब्जा किया गया।अतिक्रमणकारियों द्वारा सबसे पहले पटवारी से से मिलीभगत कर रिकॉर्ड में जंगल के एक खास हिस्से पर अतिक्रमणकारी का २०-२५ साल का कब्जा दिखाया गया, उसके बाद वनहक समिति के अध्यक्ष द्वारा गांव के लोगों को बगैर विश्वास में लिए , उनके बोगस हस्ताक्षर कर उक्त अतिक्रमण पर नाहरकत प्रमाणपत्र दिया गया और आगे सरपंच द्वारा मासिक सभा में अतिक्रमण को नियमित करने का ठराव पास कर पट्टे प्रदान करने की मंजूरी हेतु जिलाधिकारी को दिया गया।


अब मज़े की बात ये है,इस पुरी प्रक्रिया के दौरान जंगल के उस खास हिस्से पर कुछ भी नहीं किया गया, असली खेल इसके बाद शुरू हुआ, सबसे पहले तहसीलदार को अपील कर जंगल के उस हिस्से में अपना वर्षों का कब्जा और पट्टा मिलने के संबंध में आगे की कार्रवाई का हवाला देकर वनविभाग द्वारा बुआई करने से रोकने की शिकायत दर्ज कराई गई जिसके बाद तहसीलदार द्वारा वनपरिक्षेत्र अधिकारी को नोटिस जारी कर पट्टा मंज़ूर/नामंजूर होने तक संबंधित व्यक्ति को बुआई करने से ना रोकने का निर्देश दिया गया।

खेल कि असली सुरुवात:
इसके बाद शुरू हुआ असली खेल, अतिक्रमणकारियों द्वारा तहसीलदार के उस नोटिस को आगे करके दिन दहाड़े जंगल को काटा गया, जेसीबी मशीन द्वारा जमीन को समतल किया गया..!
२०-२५ साल से अधिक समय से खेती करने वाली जमीन और ताजा ताजा जंगल काट कर समतल किए गए जमीन में अंतर होता है और शेडेपार,बिलारगोंदी वाले मामले में निरीक्षण करने पर साफ़ साफ़ दिखाई देता है, कागजों पर जिस जमीन पर २०-२५ साल से ज्यादा का कब्जा दिखाया गया है, वहां हाल ही में पेड़ों को काट कर जमीन समतल किया गया है और दिखावे के लिए थोड़ी बहुत बुआई कि गई है ‌।
इस पूरे प्रकरण में शेडेपार के वनहक समिति और ग्राम पंचायत की भूमिका संदेहास्पद हैं और मामले की गंभीरता से जांच करने पर एक बड़ा घोटाला सामने आ सकता है।

◾️बोगस कागज़पत्रों के जरिए बाहरी व्यक्तियों को स्थानीय नागरिक बताया गया…

शेडेपार,बिलारगोंदी वन जमीन अतिक्रमण प्रकरण में ना सिर्फ नियमों कि अनदेखी की गई बल्कि नियमों से बाहर निकल कर देवरी सहित अन्य गांवों के लोगों को शेडेपार का स्थानीय निवासी बताया गया है।
स्थानीय नागरिकों में इस बात को लेकर भारी रोष है कि गांव के भूमिहीन, ग़रीब नागरिकों कि बजाय पैसे लेकर वनहक समिति और ग्रामपंचायत द्वारा बाहरी लोगों को गांव के आसपास की जमीन पर कब्जा करने दिया गया।
उन्होंने प्रशासन से इस प्रकरण की जांच कर गुनाहगारों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई कि मांग कि है।

◾️वनहक समिति अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में नाकाममहेश चोपड़े, वनपरिक्षेत्र अधिकारी, देवरी

बिलारगोंदी,शेडेपार जंगल अतिक्रमण मामले में वनपरिक्षेत्र अधिकारी देवरी से संपर्क करने पर उन्होंने माना कि उपरोक्त प्रकरण में प्रशासन को अंधेरे में रखकर वन्य जमीन पर अवैध रूप से कब्जा किया गया लेकिन अतिक्रमणकारियों द्वारा अवैध रूप से अतिक्रमण किए गए वन्य जमीन पर अंतिम फैसला आने तक कार्यवाही करने पर असमर्थता व्यक्त की।
उन्होंने ये भी माना कि, भूमिहीन ग़रीब लोगों के हितों के लिए बनाएं गए कानूनों का ग़लत इस्तेमाल किया जा रहा है साथ ही उन्होंने वनहक समिति की भूमिका पर भी नाराजगी जताई है और विश्वास दिलाया है कि, वन्य जमीन पर अवैध रूप से कब्जा करने के उक्त प्रकरण में पट्टे प्रदान करने के आवेदन के रद्द होते ही वो तत्काल कार्रवाई कर वन्य जमीन को खाली कराकर गुनाहगारों पर कड़ी कार्रवाई करेंगे।

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