Awareness Talk- साइबर अपराधों से कैसे बचें ?

Adv. Ankita R. Jaiswal
Civil and Criminal Court Warud. Dist. Amravati.
Mob (9175761387)

Cyber Crime part 3


साइबर क्राइम पार्ट 1 और पार्ट 2के बाद आज मैं आज सभी को पाठ 3 में बताने जा रही हूं साइबर अपराध से कैसे बचे हैं और क्या प्रिकॉशंस लेनी चाहिए, अगर आप सभी ने मेरे पार्ट वन पार्ट टू आब तक नहीं पढ़े हो तो जल्दी ही पढ़ लीजिए जिससे आपको साइबर क्राइम क्या होता है? उसके वर्गीकरण क्या होते हैं ?उसके प्रकार क्या है? यह समझने में आसानी होगी और अब पार्ट 3 में आपको उसके उपाय के बारे में बताने जारही हूं, जिससे आप सभी जागरूक हो सके.
आज के कंप्यूटर, स्मार्टफोन, इन्टनेट आदि की दुनिया में हर समय हम साइबर दुनिया से घिरे रहते हैं। इस स्थिति में अगर हम साइबर दुनिया के बुरे प्रभावों के बारे में नहीं जानते हैं तो हम लोग धोखा खा जाएंगे। हमें साइबर दुनिया के नकारात्मक प्रभावों को जानना चाहिए साथ ही में अपने देश के साइबर कानूनों को भी जानना चाहिए। हमारे देश में स्मार्टफोन के उपयोग में वृद्धि के साथ, फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्विटर आदि का उपयोग भी बढ़ रहा है | भारत शायद दुनिया का दूसरा या तीसरा सबसे बड़ा इंटरनेट उपयोगकर्ता देश है। कोरोना काल और लॉकडाउन के समय में बहुत से लोगों ने घर से ही ऑनलाइन काम किया है इसलिए हम इंटरनेट की दुनिया में इतनी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं कि उसके साइड इफेक्ट्स के बारे में हमें बिल्कुल भी जागरूकता नहीं है, जितना अधिक हम साइबर दुनिया से घिरे रहेंगे, उतने विभिन्न प्रकार के साइबर अपराध विकसित होंगे। यही कारण है कि हर भारतीय को साइबर दुनिया के अच्छे और बुरे पक्ष के बारे में जागरूकत होनी चाहिए । मुझे लगता है प्रत्येक भारतीय को भारत के साइबर कानून पर बुनियादी ज्ञान होना चाहिए। विकिपीडिया के अनुसार, भारत में साइबर अपराध की संख्या 300% तक बढ़ गई है।
भारत में साइबर कानून:

  1. सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 ( आई. टी. ऐक्ट 2000)
  2. सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम, 2008 (आईटी अमेंडमेंट एक्ट 2008)
    साइबर संबंधी या अन्य जुड़े हुए कानून:
  3. भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872
  4. आपराधिक प्रक्रिया कोड, 1973
  5. भारतीय दंड संहिता, 1860
  6. कॉपी राइट एक्ट, 1957
  7. बैंकर बुक ऑफ एविडेंस अधिनियम।
    साइबर दुनिया कैसी है ?
    जैसे-जैसे मोबाइल फोन का उपयोग बढ़ता है, वैसे-वैसे इंटरनेट का उपयोग भी बढ़ता है, और इसलिए भारत में फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम का उपयोग बढ़ राहा है। जितने अधिक लोग साइबर दुनिया में घूमते हैं, उतनी ही यह अजीब दुनिया नए अपराधों को जन्म देगी। इस काल्पनिक या आभासी दुनिया और यहां होने वाले विभिन्न अपराधों के बारे में सभी को जानकारी होनी चाहिए | आप सभी को जागरूक करने के लिए ही में यह आर्टिकल के माध्यम से आप तक साइबर क्राइम से बचने के उपाय को बताने जा रही हूं.
    सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट :
    वर्तमान में सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट हर देश में बहुत लोकप्रिय हैं। ये लोकप्रिय सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट दुनिया भर के कई देशों द्वारा अपने लोगों को उनके काम को बढ़ावा देने के लिए उपयोग किया जाता है। विभिन्न सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट जयसे के लिंक्डइन, फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप, टेलीग्राम इन में से एक सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट भी है। हालाँकि विभिन्न सामाजिक नेटवर्किंग वेबसाइटों के कई अच्छे पहलू हैं, आजकल विभिन्न सामाजिक अपराध उनके माध्यम से होते हैं। भारतीय साइबर अधिनियम यानी सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 और सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम, 2008 और इसके बाद के विभिन्न नियम इस संबंध में कानूनी सहायता प्रदान करते हैं या ऐसे साइबर अपराधों की जांच में जांच अधिकारियों की सहायता करते हैं। इसके अलावा, भारतीय साक्ष्य अधिनियम, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और भारतीय दंड संहिता भी इस संबंध में मदद करेंगे।
    साइबर अपराधों से खुद को सुरक्षित रखने के लिए कुछ तरीके और तकनीक निम्नलिखित हैं
    • अगर हमारे पास ऐसी कोई शिकायत है, तो हम इसे निकटतम पुलिस स्टेशन को रिपोर्ट कर सकते हैं।अगर कोई साइबर पुलिस स्टेशन नहीं है तो आप अपने स्थानीय पुलिस स्टेशन के समक्ष शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
    • यदि कोई अश्लील मेल या पोस्ट आपके पास आता है, तो उस मेल या पोस्ट का एक प्रिंट निर्दिष्ट पुलिस स्टेशन में शिकायत के साथ दें और आपत्तिजनक साइट का URL/Link जांच अधिकारी को प्रदान करें।
    • आपको किसी भी ऑनलाइन डेटा को नष्ट नहीं करना चाहिए जिसका उपयोग जांच में किया जा सकता है। जांच अधिकारी को पारंपरिक साक्ष्य के साथ नई तकनीक और सूचना पर जोर देना चाहिए। यदि आवश्यक हो, तो जांच अधिकारियों को फोरेंसिक विशेषज्ञों की मदद लेनी चाहिए।
    • ध्यान रखें कि इंटरनेट पर 60 प्रतिशत जानकारी पोर्नोग्राफी से संबंधित है, इसलिए साइबर कानून विशेषज्ञों के अनुसार, भारतीय महिलाएं और बच्चे साइबर अपराधियों का मुख्य निशाना हैं | इसलिए आपको फेसबुक आदि पर घूमते हुए सावधान रहना होगा।
    • मोबाइल एप्लिकेशन इंस्टॉल और उपयोग करते समय सावधानी बरतें |
    • कोई भी बैंक या वित्तीय संस्थान आपसे फोन पर आपके व्यक्तिगत डेटा के लिए कभी नहीं पूछेगा | यदि कोई आपको फोन पर यह कहते हुए बुलाता है कि वह किसी बैंक का प्रतिनिधित्व कर रहा है और ओटीपी या कोई डेटा मांगता है, तो सोचें कि यह एक धोखा है और उन्हें कोई डेटा प्रदान नहीं करें |
    • यदि कोई भी धोखेबाज़ व्यक्ति आपको पेटीएम के नाम से फोन करता है और आपसे अनुरोध करता है कि आप अपने मोबाइल में कोई भी ऐप डाउनलोड करें और अपग्रेडेशन के लिए उसे कोई भी डेटा दें, तो सोचें कि यह धोखाधड़ी है | आपको बेवकूफ बनाने के लिए विभिन्न फ़िशिंग हमलों से सावधान रहें |
    • उचित ज्ञान के बिना किसी भी अज्ञात लिंक पर क्लिक न करें | अपना ऑनलाइन पासवर्ड बार-बार बदलने का प्रयास करें |
    • आपके पासवर्ड में अक्षर, संख्या, विशेष वर्ण होना चाहिए। किसी भी शब्दकोश में पाए गए किसी भी शब्द का उपयोग न करें क्योंकि वह अपराधी को आपके पासवर्ड और आपके महत्वपूर्ण ऑनलाइन खाते को आसानी से हैक करने में मदद करता है |
    • अपने नेटबैंकिंग डेटा को सुरक्षित रखें मोबाइल और अपने मोबाइल, कंप्यूटर आदि के लिए के लिए एक शक्तिशाली एंटीवायरस का उपयोग करें |
    • ऐसे एटीएम से बचें, जिनमें सुरक्षा गार्ड न हों | कभी भी ऑनलाइन दुनिया में किसी जाल, ऑनलाइन योजना या लॉटरी या झूठा वादा में न पड़ें |
    अपने इंटरनेट की बैंकिंग और बैंकिंग लेन-देन का इस्तेमाल कभी भी सार्वजनिक स्थान जैसे कि साइबर कैफे, ऑफिस, पार्क, सार्वजनिक मीटिंग और किसी भीड़-भाड़ी वाले स्थान पर न करें. किसी भी प्रकार के बैंकिंग लेन-देन के लिए आप अपने पर्सनल कम्प्यूटर या लैपटॉप का ही इस्तेमाल करें. जब कभी भी आप अपने इंटरनेट बैंकिंग या किसी भी जरुरी अकाउंट में लॉगिन करें, तो काम खत्म कर अपने अकाउंट को लॉगआउट करना न भूलें और जब आप लॉगिन कर रहें, हो तब इस बात पर जरूर धयान दें कि पासवर्ड टाइप करने के बाद कम्प्यूटर द्वारा पूछे जा रहे ऑप्शन रिमेब्बर पासवर्ड या कीप लॉगिन में क्लिक न करें.
    फेक साइट के नाम से ही प्रतीत हो जाता है कि यह एक झूठी वेबसाइट है, जो हु ब हु आपके बैंक के वेबसाइट, खरीदारी करने वाली साइट या पेमेंट गेटवे के जैसा इंटरफेस होता है. ऑनलाइन ख़रीदारी या कोई भी ऑनलाइन लेन-देन करने के लिए जैसे ही आप यहां अपने क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, इंटरनेट बैंकिंग का यूजर नेम, लॉगिन पासवर्ड ट्रांजिक्सन पासवर्ड या ओ.टी.पी इंटर करते हैं, तो वो इस डिटेल्स को कॉपी कर लेता है और बाद में इसका प्रयोग कोई भी गलत तरीके से गलत कार्यों के लिए कर सकता है, जिसको आप और हम समझ नहीं पाते हैं कि यह गलत ट्रांज्किशन कैसे हो गया? फेक वेबसाइट का संचालन एक संगठित ग्रुप के क्रिमिनल्स के द्वारा किया जाता है.
    आप अपने कम्प्यूटर में अगर इंटरनेट का प्रयोग करते हैं, तो सबसे पहले आप अपने पर्सनल कम्प्यूटर को पासवर्ड से सुरक्षित कीजिए, जिससे कोई दूसरा व्यक्ति बिना आपके जानकारी के आपका कम्प्यूटर प्रयोग न कर सकें. अगर आपका कम्प्यूटर सुरक्षित नहीं होगा, तो क्रिमिनल या कोई व्यक्ति आपके कम्प्यूटर से जरूरी जानकारियां चुरा सकता है और गलत कार्यों के लिए आपके कम्प्यूटर का इस्तेमाल भी कर सकता है. इसके साथ आप यह भी चेक करें की आपके कम्प्यूटर में लेटेस्ट सिक्योरिटी अपडेटेड इन्सटाल्ड है या नहीं. साथ ही यह भी चेक करें की आपका एंटी वायरस और एंटी स्पाई वेयर सॉफ्टवेयर ठीक से काम कर रहा है या नहीं अपने सोशल मीडिया के अकाउंट को देखते रहें, अगर कभी आप अपने सोशल साइट्स के अकाउंट को डिलीट कर रहे हैं, तो उससे पहले आप अपनी सारी पर्सनल जानकारी को डिलीट कर दें और फिर उसके बाद आप अपना अकाउंट डीएक्टिवेट करें या डिलीट करें. आप किसी भी स्पैम ई-मेल का उत्तर न दे, अंजान ई-मेल में आए अटैचमेंट्स को कभी खोल कर न देखें या उस पर मौजूद लिंक पर क्लिक न करें. इसमें वायरस या ऐसा प्रोग्राम हो सकता है, जिसको क्लिक करते ही आपका कम्प्यूटर उनके कंट्रोल में जा सकता है या आपके कम्प्यूटर में वायरस के प्रभाव से कोई जरूरी फाइल डिलीट हो जाए और आपका ऑपरेटिंग सिस्टम करप्ट हो जाए.
    अगर किसी वेबसाइट पर कोई पॉपअप खुले और आपको कुछ आकर्षक गिफ्ट या इनाम ऑफर करे तब आप अपनी पर्सनल जानकारी या बैंक अकाउंट नंबर या बैंक से संबंधित कोई भी जानकारी न भरें. अगर आप किसी ऑफर का लाभ लेना चाहते हैं, तो आप सीधे रिटेलर के वेबसाइट, रीटेल आउटलेट या अन्य जायज साइट से संपर्क करें. आज के दौर मे इंटरनेट हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण है, लेकिन इंटरनेट पर जरा सी ना समझी स्कैमर्स को साइबर क्राइम के लिए खुला निमंत्रण देता है. अगर आप यह सब समझ जाते हैं, तो आप साइबर क्राइम के शिकार होने से बच सकते हैं।
    साइबर क्राइम से बचने के लिए कुछ उपाय:
  8. अपने सिस्टम को अपडेट रखें
  9. Strong Password
  10. हमेशा अपडेटेड एंटी-वायरस का इस्तेमाल करें.
  11. कंप्यूटर को हमेशा पासवर्ड प्रोटेक्टेड रखें
  12. HTTPS का ध्यान रखें
  13. सार्वजनिक जगह पर WiFi इस्तेमाल करने से बचें
  14. संदिग्ध ई-मेल को इग्नोर करें
  15. Social-Media Savvy बनें
  16. अपने मोबाइल को सिक्योर रखें
  17. ऑनलाइन शॉपिंग करते समय भी सावधान रहें.
  18. अपने खातों पर नज़र रखें
  19. जितनी ज़रूरी हो उतनी ही जानकारी दें
    इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों को अब साइबर क्राइम की समस्या का अंदाजा तो होने लगा है। हर दिन ईमेल, फेसबुक अकाउंट, कंप्यूटर, क्रेडिट कार्ड या नेटबैंकिंग अकाउंट से जुड़ी साइबर क्राइम की सैकड़ों खबरें आती हैं। हम आपको बता रहे हैं कि साइबर क्राइम होने पर तुरंत कौन-कौन से जरूरी और एहतियाती कदम उठाने चाहिए अगर आप ऐसे किसी अपराध के शिकार होते हैं, तो आपको चार स्तरों पर काम करने की जरूरत है। याद रखें, हर कदम पर मिलने वाले डॉक्युमेंट, मेसेज और दूसरी जानकारियों को सहेजना न भूलें। कानूनी लड़ाई लड़ने में वह आपके बहुत काम आएगी।
    पहला कदम: ज्यादा नुकसान से बचें
    जैसे ही साइबर क्राइम का पता चले, उसे सीमित करने के कदम उठाएं। आपके क्रेडिट कार्ड या नेटबैंकिंग खाते से पैसे निकाल लिए जाने पर पहली फिक्र यह करनी चाहिए कि उससे और पैसे न निकल जाएं। तुरंत बैंक से संपर्क करना और क्रेडिट कार्ड ब्लॉक करवाना जरूरी है। यदि ईमेल या सोशल नेटवर्किंग अकाउंट हैक होता है, तो रिलेटेड वेबसाइट पर जाकर रिकवरी प्रक्रिया शुरू करनी होगी। लॉग-इन स्क्रीन पर जाकर देखें कि क्या कहीं पासवर्ड भूलने या अकाउंट रिकवर करने का लिंक दिखाई देता है? अगर वेबसाइट हैक की गई है, तो पहले अपने जरूरी डेटा को सहेजने में जुटें, ताकि और नुकसान होने से बचें। अपराध कब हुआ, उसकी तारीख और वक्त जरूर नोट कर लें।

दूसरा कदम: सबूत इकट्ठा करें,
जरूरी सबूत इकट्ठे करें, जिनका इस्तेमाल आप आगे की कार्रवाई में करेंगे। आपके फेसबुक अकाउंट पर अश्लील टिप्पणी की गई है या कोई अश्लील ईमेल भेजा गया है, तो उसे अपने पास सेव करना जरूरी है, क्योंकि फेसबुक वॉल पर की गई टिप्पणी को अपराधी हटा भी सकता है।
अपने फेसबुक पेज का स्क्रीनशॉट लेने की कोशिश करें। अब फाइल को सेव कर लें। ईमेल अकाउंट को किस आईपी अड्रेस से हैक किया गया था, उसका ब्योरा भी तीनों प्रमुख ईमेल सर्विस प्रवाइडर – गूगल, याहू और आउटलुक (लाइव-हॉटमेल) में मौजूद रहताहै। मिसाल के तौर पर गूगल मेल अकाउंट में सबसे नीचे दाईं तरफ Last Account Activity लिखा मिलेगा। वहां दिए Detail लिंक को क्लिक करने पर यह जानकारी उपलब्ध होगी। यदि वेबसाइट हैक हुई है, तो उसकी मौजूदा स्थिति का स्क्रीनशॉट लेकर फाइल बना कर सेव कर लें। जहां तक क्रेडिट कार्ड या नेटबैंकिंग अकाउंट के दुरुपयोग का सवाल है, तो यदि आपके पास उससे किए गए खर्च के बारे में कोई एसएमएस या ईमेल मेसेज आया हो, तो उसे सहेजकर रख लें। इसी तरह अपने नेटबैंकिंग खाते में हुए ट्रांजैक्शन का स्क्रीन शॉट ले लें।
तीसरा कदम : सर्विस प्रवाइड से बात करें
रिलेटेड सर्विस प्रवाइडर (ईमेल वेबसाइट, क्रेडिट कार्ड कंपनी, बैंक, सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट से कॉन्टैक्ट कर औपचारिक शिकायत करें। इसके लिए भेजे जाने और पाने वाले सभी मेसेज/ईमेल का रेकॉर्ड जरूर रखें।
यदि नेटबैंकिंग या क्रेडिट कार्ड का दुरुपयोग हुआ है, तो जरूरी नहीं कि चूक आपसे ही हुई हो। यह बैंक से भी हुई हो सकती है। बैंकों से लोगों का डेटा चुरा लिए जाने या हैक कर लिए जाने की खबरें काफी आती हैं। हो सकता है कि किसी साइबर अपराधी ने किसी बैंक कर्मचारी के जरिए या बैंक के सर्वर या वेबसाइट को हैक करके आपके अकाउंट का ब्योरा हासिल किया हो। ऐसे में आपको हुए नुकसान की जिम्मेदारी बैंक पर भी आती है। कई बार बैंक ऐसे मामलों को सुलटाने के लिए खाताधारियों से समझौता भी कर लेते हैं।
चौथा कदम : पुलिस के पास जाएं, शिकायत दर्ज करें
साइबर अपराधों की जांच और आगे कार्रवाई करने वाली एजेंसियों से संपर्क करें। आपको कम से कम दो जगहों पर शिकायत करने की जरूरत है – पहला, अपने राज्य की पुलिस की साइबर क्राइम सेल और दूसरा भारत सरकार की वह हाई लेवल एजेंसी, जो साइबर चुनौतियों के मामले देखती है। उसका नाम है – सेंट्रल इमर्जेंसी रिस्पॉन्स टीम (CERT-In)। तीसरा, केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) का साइबर क्राइम इन्वेस्टिगेशन सेल, जिसके काम-काज का दायरा पूरा भारत है।
इस तरह से अगर आप सभी उपायों यूज करते हो तो आप साइबर क्राइम से बच सकते हैं आशा करती हूं कि आप सभी को साइबर क्राइम के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देने में में सफल रही हूं.

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