अपने

जो अपने से पहले अपनों के लिए सोचते
हैं वही अपने होते हैं।
अपने वो नहीं होते जो मुश्किलों में सलहा देते है
बल्कि अपने वो होते हैं जो मुश्किलों में मदद करते हैं।

जो दिल के हो करीब उसे रुसवा नहीं करते,
अपनी दोस्ती का तमाशा नहीं करते,
खामोश रहोगे… तो घुटन और बढ़ेगी,
अपनों से कोई बात छुपाया नहीं करते।

अपने जब पराये हो जाते हैं,
अपने जब पराये हो जाते हैं।
जागे हुए अरमान दिल में सो जाते हैं।
तलाशते तलाशते गैरों के दिल में अपना आशिया
ऐसा लगता है जैसे हम खुद ही खो जाते हैं।

कहने को तो बहुत अपने होते है
पर जब भी मन उदास हो
सच्ची तो कोई पूछने वाला नहीं होता है

कुछ अपने हैं बहुत पराए भी हैं,
कुछ सपने हैं बहुत बताए भी हैं।
बस इतना हासिल हुआ मजहब में,
कुछ दफने हैं बहुत चिताएँ भी हैं।।

अगर जिंदगी में बुरा वक़्त ना आये,
तो हम अपनों में पराये,
और परायों में अपने
कभी नहीं ढूंढ पाएंगे !!

कवी — सुदर्शन एम. लांडेकर देवरी
. 9420191985

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