कागजों पर सिमटा ‘स्वच्छ देवरी सुंदर देवरी’ का नारा ?

शहर की गंदगी स्वच्छता अभियान को दिखा रही हैं ठेंगा?

देवरी 13: स्वच्छ सर्वेक्षण-२० की अपेक्षा २०२१ में और अच्छा प्रदर्शन कर राज्य व राष्ट्रीय स्तर अपनी रैंकिंग को और बेहतर करने के दावे के साथ नगर पंचायत देवरी द्वारा इस वर्ष की शुरुआत में जोर शोर से शुरू किया गया “स्वच्छ देवरी सुंदर देवरी अभियान” कागजों पर तो प्रभावी रूप से शुरू हैं लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिलकुल विपरीत नज़र आ रही है ‌।
शहर में जहां तहां फैली गंदगी नगर पंचायत देवरी के ग्रीन देवरी, क्लीन देवरी के दावे कि पोल खोल देती है।
शहर के सड़कों, सार्वजनिक स्थलों पर जगह जगह बिखरे कूडे कचरे ,नगर पंचायत के बेहतर कचरा प्रबंधन के दावों पर सवाल उठाते हैं ।

शहर की लगातार बढ़ती आबादी के अनुपात में सफाई कर्मचारियों कि अपर्याप्त संख्या, सीमित संसाधनों के अभाव में गत 3-4 माह से डोर टू डोर कचरा उठाने कि व्यवस्था पूरी तरह से पटरी से उतर गई है।
घरों से जैविक कचरा 2-2,3-3 दिनों तक कचरा निस्तारण हेतु नहीं उठाने कि वजह से सड़न और बदबू से शहर की अधिकांश ग्रहणिया त्रस्त है।
17 वार्ड में बंटे देवरी शहर के प्रत्येक घर से कचरा उठाने के लिए नगर पंचायत प्रशासन द्वारा 4 कचरागाड़ी उपलब्ध कराया गया है, याने हर एक कचरा गाड़ी पर 4 वार्ड का कचरा उठाने का भार है।
महज़ 4 कचरा गाड़ी के भरोसे क़रीब 15 हजार की जनसंख्या वाले देवरी शहर से कचरा उठाने की नगर पंचायत प्रशासन की कोशिश , देवरी शहर को साफ़ और स्वच्छ रखने के उनके प्रयासों कि गंभीरता पर कई सवाल भी उठाते हैं।

जिप प्राथमिक शाला मैदान परिसर बना कूड़ा घर

देवरी शहर के ह्रदयस्थल पर मौजूद जिप प्राथमिक शाला का मैदान , नगरपंचायत की लगातार उपेक्षा से धीरे-धीरे कूड़ा घर में तब्दील होने लगा है।
मैदान परिसर में मौजूद आंगनवाड़ी क्रमांक 1 के रसोईघर के ठीक बगल में खुले में मल-मूत्र त्याग करते लोगों को रोजाना देखा जा सकता है।
आंगनवाड़ी के ठीक सामने कचरे के ढेर बिखरे पड़े नज़र आते हैं लेकिन बार बार शिकायत दर्ज कराने के बावजूद नगरपंचायत द्वारा अभी तक इस संबंध में कोई ठोस कदम नहीं गया है जिसके चलते इस मैदान का आस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है, इसके अलावा आंगनवाड़ी आनेवाले छोटे छोटे बच्चों के स्वास्थ्य पर भी खतरा मंडरा रहा है।

सार्वजनिक शौचालयों के हाल बेहाल:

शहर को स्वच्छ ,साफ़ रखने के उद्देश्य से लाखों रुपए खर्च करके शहर के मुख्य हिस्सों में सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण कराया गया था लेकिन नगरपंचायत प्रशासन द्वारा उनके रखरखाव को लेकर उदासीन रवैए और देखरेख के अभाव में सार्वजनिक शौचालयों भी खस्ताहाल है।
स्वच्छ सर्वेक्षण-२१ के शुरूआत में जोर शोर से प्रचार कर शहर के सार्वजनिक शौचालयों की लोकेशन गूगल पर अपलोड कर नागरिकों से सार्वजनिक स्थलों की बजाय इन शौचालयों में शौच ई नित्यक्रम करने को प्रेरित करने का आव्हान किया गया था लेकिन सालभर के भीतर ही इनमें से अधिकांश शौचालय उपयोग करने लायक ही नहीं बचा ।
इस संबंध में पानी पुरवठा अभियंता और और स्वच्छ सर्वेक्षण हेतु नोडल अधिकारी नियुक्त सचिन मेश्राम से संपर्क करने पर उन्होंने बताया कि नगर पंचायत के पास सफाई कर्मियों की अनुपलब्धता के कारण शौचालयों की साफ-सफाई में दिक्कत आ रही है और इस समस्या के समाधान के लिए नगरपंचायत बहुत जल्दी पे एंड यूज़ के आधार पर इन शौचालयों को निजी एजेंसियों को सौंपने वाली है।

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