कविता : “तलवार, मयानों में”

शब्द रचना: सुनील कुमार येडे़

कभी राम मंदिर पे लडे़,
कभी बाबरी पे लडते हो।
क्या मिलना है इस बैर से,
क्युं आपस में झगडते हो।।

क्युंकि, रहें ना रहें हम लेकिन2
ये बैर यहाँ रह जायेगा,
आने वाली हर पीढ़ी को,
काट काट कर खायेगा।।।।। 2

क्या धर्मों के माइने हैं?
जब इंसानियत खतरे में।
सारा मैल निकालो मन से,
और फेकों तुम कचरे में।।

क्युं कि, रहें ना रहें हम लेकिन, 2
ये मैल यहाँ रह जायेगा।
आने वाली हर पीढ़ी को,
काट काट कर खायेगा।।

रखो तलवार मयानों में………………….।।।।।।

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